How to choose right form of business???
Merit demerit of different forms of business |||
Which form of business is suitable for you??
व्यापार किस तरह शुरू करें??
किस फॉर्म में शुरू हो आपका बिज़नेस???
क्या हैं व्यापार शुरू करने के विभिन्न तरीके???
जानिए हमारे साथ…..
हम आपको बिज़नेस शुरू करने के विभिन्न तरीको के लाभ और हानि के बारे में विस्तार से बताते हैं |
किसी भी व्यापार को स्टार्ट करने के कई तरीके होते हैं | व्यापार को स्टार्ट करने से अभिप्राय आपके बिज़नेस को सेट अप करने से है | मगर सभी तरीको में कुछ अंतर होते हैं जो की उनमे लगने वाले पैसे, समय, और उनसे जुड़े लीगल कंप्लायंस के अनुसार बांटे जाते हैं.|
बिज़नेस स्टार्ट के करने के मुख्य तरीके इस प्रकार के होते हैं |
बिज़नेस स्टार्ट के करने के मुख्या तरीके इस प्रकार के होते हैं |
१. सोल -प्रोप्रिएटरशिप (एकल स्वामित्व)
२. पार्टनरशिप (साझेदारी)
३. कंपनी
४. गैर सरकारी संगठन पंजीकरण
१. सोल -प्रोप्रिएटरशिप (एकल स्वामित्व)
यह बिज़नेस स्टार्ट करने का सबसे आसान तरीका है | इसमें खर्चे, समय की बचत होती है इसलिए यह काफी प्रसिद्ध भी है | इस तरह के बिज़नेस में एक व्यक्ति अपना व्यापार अकेला ही स्टार्ट करता है | इसमें किसी की साझेदारी नहीं होती है | वह अकेला ही अपने व्यापार में लगने वाले खर्च को वहन करता है और उससे होने वाले लाभ को अर्जित करता है | इस तरह व्यापार को शुरू करने में कम खर्च लगता है | और फायदे अन्य बिज़नेस के तरीको जैसे ही हैं | व्यापार करने के इस तरीके के लाभ और हानि के इस प्रकार हैं: –
इसके लाभ:-
१. व्यापार में मालिक को कोई भी फैसला लेने से पहले किसी की सहमति लेने की जरुरत नहीं होती है |
२. यह बिज़नेस का सबसे सरल एवं सबसे जल्द बनने वाला और बंद किये जा सकने वाला प्रकार है |
३. इसमें मालिक तीर्व निर्यय ले सकते हैं |
४. इसमें लीगल कंप्लायंस के खर्चे बहोत कम होते हैं |
५. इसमें मालिक का अपने बिज़नेस पर पूरा नियंट्रण होता है |
६. मालिक ही बिज़नेस से होने वाले लाभ का अकेला ही हिताधिकारी होता है |
७. इसमें बिज़नेस के अन्य प्रकार के वनिष्पद बहोत कम टैक्स पय करना होता है |
इससे हानि :–
१. मालिक के पास पूंजी की कमी हो सकती है, क्यूंकि वह अकेला ही बिज़नेस में पूंजी लगता है |
२. ज्यूंकि इसका रजिस्ट्रेशन लोकल गवर्नमेंट के डिपार्टमेंट में होता है इसलिए इसे देश भर में वह इमेज और ब्रांड पोजिशनिंग नहीं नहीं मिल पाती है जो कंपनी या रजिस्टर्ड पार्टनरशिप को मिलती है | जैसे : आप किसी भी कंपनी के बारे में देश के किसी भी कोने से जान सकते हैं मगर इसमें (एकाकी स्वामित्व) में यह सुविधा नहीं मिल पाती है |
३. व्यापार से होने वाले हानि का पूरा वहन मालिक को अकेला ही करना होता है | अगर हानि सम्पति से ज्यादा हो वह मालिक के पर्सनल प्रॉपर्टी को बेच कर भी वसूली जा सकती है |
२. पार्टनरशिप ( साझेदारी)
पार्टनरशिप व्यापार का वह फॉर्म है जिसमे दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी प्रॉफिटेबल कार्य को करने के लिए साथ में काम करने के लिए एग्रीमेंट करते हैं | यह करारनामा पार्टनरशिप एग्रीमेंट कहलाता है | पार्टनरशिप एग्रीमेंट पार्टनरशिप के रूल्स एंड रेगुलेशन का वर्णन करता है | पार्टनरशिप के कार्यकलाप पार्टनर्स के हाथ में होते हैं | पार्टनर्स भी मुख्यतः दो प्रकार के हो सकते हैं | एक्टिव पार्टनर और स्लीपिंग पार्टनर | एक्टिव पार्टनर पार्टनरशिप को चलाने के लिए के लिए जिम्मेदार होते हैं | जिनके लिए ओन्हे सैलरी दी जाती है | वही स्लीपिंग पार्टनर सैलरी नहीं ले सकते क्यूंकि वे काम नहीं करते बल्कि सिर्फ नाम के पार्टनर होते हैं | जैसे की कई पार्टनरशिप फर्म सिर्फ नाम के लिए फिल्मी स्टार्स को अपना पार्टनर बना के रखती हैं |
एकाकी स्वामित्व और पार्टनरशिप में अंतर:
१. पार्टनशिप में पूंजी के उपलब्ध्ता एकाकी स्वामित्व से ज्यादा होती है |
२. पार्टनरशिप बिज़नेस और पार्टनर दो अलग अलग पर्सन्स होते हैं कानून की नजर में | एकाकी स्वामित्व और उसका मालिक एक ही माने जाते हैं कानून की नजर में |
३. पार्टनरशिप का अलग से पैन कार्ड बनता है मगर एकाकी बिज़नेस में मालिक के ही पैन से काम चल जाता है |
४. पार्टनरशिप में डिसिशन मेकिंग एकाकी बिज़नेस के वनिस्पत स्लो होती है | क्यूंकि कोई भी डिसिशन सभी पार्टनर्स के सहमति के साथ ही लिया जाता है |
पार्टनरशिप के लाभ:-
१. एकाकी स्वामित्व की अपेक्षा ज्यादा पूंजी उपलब्ध होती है |
२. पार्टनरशिप और पार्टनर्स कानून की नजर में दो अलग अलग पर्सन्स होते हैं | अगर पार्टनरशिप रजिस्टर्ड हो या एलएलपी (पार्टनरशिप का मॉडर्न फॉर्म ) हो तोह पार्टनरशिप के नुक्सान को पार्टनर्स से नहीं वसूला जा सकता है (कुछ एक्सेप्शनल केसेस को छोर के )
३. पार्टनरशिप बनाने में आसान होता है |
४. कर्मचारी हमेशा मोटिवटेड रहते हैं क्यूंकि अच्छा काम करने पर उन्हे पार्टनर्स बनने का मौका मिलता है |
पार्टनरशिप से हानि :-
१. पार्टनरशिप में डिसिशन मेकिंग स्लो होती है वनिस्पद एकाकी स्वामित्व के |
२. पार्टनर्स के बीच में ट्रस्ट, भरोशे के कमी पार्टनरशिप के असफलता का कारण बन सकती है |
३. पार्टनर्स पार्टनरशिप के कर्ज, नुक्सान के प्रति जिम्मेवार होते हैं | एलएलपी को छोर के अन्य पार्टनरशिप फॉर्म्स के कर्ज की भरपाई न हो पाने पर ओसे पार्टनर्स की निजी सम्पति को बेच कर भी वसूला जा सकता है|
Article topic: How to choose right form of business | Merit- demerits of different forms of business | Which form of business is suitable for you ??